फटे ढोल की थाप पर
फटे ढोल की थप थप पर

हाथों में गुलाल भर
नाचा भी ...... गाया भी
लेकिन रंग न सका
बुझे हुए मन का वितान
हा...! हा ...! हा...! हा .. !
हा...! हा...! हा...! हा... !
हरा पीला लाल रंग
कितना ही उंडेलें हम
मस्ती में झूम- झूम ....
कितना ही थिरकें हम
लेकिन दुबके भयाक्रांत लोग
भूख से अधमरे लोग
अपनी उदासी टांग
नाचेंगे ... गायेंगे क्या ?
हा ...! हा ...! हा....!
हा....! हा.... ! हा...! हा ....!
मादल की थाप पर
दहशत जब नाच रही
नंगों की बांहें थाम
फाग हम मनाएं क्या ?
हा... ! हा...! हा...! हा...!
हा...! हा...! हा...!हा...!

प्रेम रंग भूल गए
राग द्वेष संग लियें
सभी बदरंग हुए
गीतगुनगुनाएं क्या ?
होली हम मनाएं क्या ?
हा...! हा ....! हा...! हा...!
हा....! हा....! हा....! हा.....!